कल एक अजीब सा समा था,
बेचन था मन और बैमन्न समा था,
तेरी एक आहत जो मिली ,
जिस्म को आराम और रुअह को सुकून मिला,
और हमने मन्न ही मन में ये फैसला कर लिया,
कि जिदंगी के सात फैरे तुम्हरे संग है लेना,
जिदंगी के सात फैरे तुम्हरे संग है लेना !!
शायद इसलिए ये मौसम भिं बैमनन होगा,
सालगिराह है हमरी, उसे ये बरदश ना होगा,
सदा खुश रहना तुम यू ही मेरी बाहों में,
हस्ते रहना , मुस्कुराते रहना ,
और अपनी इस खुशी का कारण हम बनते रहना ।।