Wednesday, October 10, 2018

कल एक अजीब सा समा था,
बेचन था मन और बैमन्न समा था,
तेरी एक आहत जो मिली ,
जिस्म को आराम और रुअह को सुकून मिला,
और हमने मन्न ही मन में ये फैसला कर लिया,
कि जिदंगी के सात फैरे तुम्हरे संग है लेना,
जिदंगी के सात फैरे तुम्हरे संग है लेना !!

शायद इसलिए ये मौसम भिं  बैमनन होगा,
सालगिराह है हमरी, उसे ये बरदश ना होगा,
सदा खुश रहना तुम यू ही मेरी बाहों में,
हस्ते रहना , मुस्कुराते रहना ,
और अपनी इस खुशी का कारण हम बनते रहना ।।

Wednesday, September 26, 2018

NA JANE WO KON SI BAAT HAI TUJHME,
JO MEIN KICHHA CHALLA AATA HU TERI OR,

KOI DOR HAI JO KICHE MUJHE TERI OR TERI OR

Monday, September 10, 2018

ये जो मुस्कुराहट है तुम्हारी होटों पे, ये पहचान है हमरी ,
ये जो उठीं नज़रें है तुम्हारी , ये शान है हामरी.
ख़ुश रख़ शकू हर हम्हे में तुम्हे, बस यही दुआ है हमरी
HAMARA MAUSAM CHANGE HUA HAI KUCH AISE ,
MANNO PATJAR SE VASAT JAISE ,

BANJAR PADI THI JAMIN PYAR KE BINA,
AAJ NADIYA WAHN BAHTI HAI JAISE...